आज के समय में तो डायबिटीज होना बहुत ही आम बात है। सिर्फ अधिक उम्र के लोगों में ही नहीं आज के समय में बच्चे भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे है। एक समय था जब 40-50 साल की उम्र के बाद ही डायबिटीज जैसी बीमारियाँ हुआ करती है लेकिन अब अनुचित जीवनशैली और लाइफस्टाइल के कारण हर कोइ इसकी चपेट में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज के समय में पूरे विश्व में लगभग 350 मिलियन लाग इस बीमारी से पीड़ित है और अगले कुछ वर्षों में यह संख्या दुगनी हो जाएगी। शुगर को नियंत्रित रखने के लिए चिकित्सक की सलाह अनुसार आप शुगर की आयुर्वेदिक दवा का सेवन भी कर सकते हैं।
डायबिटीज/मधुमेह क्या है?
आयुर्वेद में डायबिटीज को मधुमेह कहा गया है। अनुचित आहार-विहार, व्यायाम न करना, शारीरिक श्रम कम करना, अत्यधिक तनाव आदि इन सब कारणों से व्यक्ति के त्रिदोष वात, पित्त और कफ असन्तुलित हो जाते है और मधुमेह रोग को जन्म देते है। वैसे तो मधुमेह में तीनो दोषों में असंतुलन देखा जाता है परन्तु मुख्यत इसमें कफ दोष का प्रभाव मूल होता है तथा अपने ही समान लक्षणों को दर्शाता है इसके अलावा मधुमेह को कुलज विकारों में मुख्य बताया गया है अर्थात् इसका एक कारण अनुवांशिकता भी है यदि परिवार में किसी सदस्य को या माता-पिता को मधुमेह रोग चला आ रहा हो तो इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे कई लोग शुगर की बीमारी भी कहते हैं।
डायबिटीज होने के कारण
हमारे शरीर में पैनक्रियास नामक ग्रन्थि के ठीक से काम न करने या फिर पूरी तरह से काम न करने पर डायबिटीज होने के खतरा बढ़ जाता है। इसके अन्य भी कारण हो सकते है पर पैनक्रियास ग्रन्थि सबसे बड़ा कारण है। हमारी पैनक्रयास ग्रन्थि से विभिन्न हार्मोन्स निकलते है, इनमें मुख्य है इन्सुलिन और ग्लूकॉन। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है, इसकी वजह से हमारे रक्त में हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है। इन्सुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुँचाने का काम करता है। इंसुलिन हार्मोन का कम निर्माण होना। जब इन्सुलिन हार्मोन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर ठीक से नहीं पच पाती जिससे कोशिकाओं की ऊर्जा कम होने लगती है और इसी कारण से शरीर को नुकसान पहुँचने लगता है। जैसे- बेहोशी आना। दिल की धड़कन तेज होना आदि। इंसुलिन के कम निर्माण के कारण रक्त में शुगर अधिक हो जाती है क्योंकि जब इंसुलिन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर जमा होती चली जाती है और यह मूत्र के जरिए निकलने लगता है। इसी कारण डायबिटीज के मरीज को बार-बार पेशाब आती है। डायबिटीज होने में अनुवांशिकता भी एक कारण है। यदि परिवार के किसी सदस्य माँ-बाप, भाई-बहन में से किसी को है तो डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा भी डायबिटीज के लिए जिम्मेदार होता है। समय पर न खाना या अधिक जंकफूड खाना और मोटापा बढ़ना डायबिटीज के कारण है। वजन बहुत ज्यादा बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है और रक्त में कॉलेस्ट्रोल का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस कारण डायबिटीज हो सकता है। बहुत अधिक मीठा खाने, नियमित रुप से जंक फूड खाने, कम पानी पीने, एक्सरसाइज न करने, खाने के बाद तुरंत सो जाने, आरामपरस्त जीवन जीने और व्यायाम न करने वाले लोगों में डायबिटीज होने की संभावना अधिक है। वर्तमान में बच्चों में होने वाली डायबिटीज या शुगर होने का मुख्य कारण आजकल का रहन-सहन और खान-पान है। आजकल बच्चे शारीरिक रुप से निक्रिय रहते है और अधिक देर तक टी.वी. या वीडियो गेम्स खेलने में समय व्यतीत करते है जिस कारण डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है। इससे बचने के लिए एक स्वस्थ जीव शैली अपनाना जरुरी है।
डायबिटीज के प्रकार
डायबिटीज दो तरह के होते हैं-
1. मधुमेह (Type 1 Diabetes): इसमें इन्सुलिन के निर्माण के लिए भ्रमात्मक ताकत वाले कोशिकाओं का विकास रुक जाता है जो इन्सुलिन प्रदर्शित करते हैं। इस रोग के कारण अण्डकोष टूटने के कारण इन्सुलिन उत्पादन में कमी होती है। इसलिए, मधुमेह को 'इन्सुलिन की कमी' से जाना जाता है।
2. मधुमेह (Type 2 Diabetes): इस रोग में, शरीर में इन्सुलिन बनाने में कोई त्रुटि नहीं होती, लेकिन शरीर इसे सही ढंग से उपयोग नहीं करता है। यह भारत में सबसे आम डायबिटीज है जो चुपके से बढ़ता हुआ बढ़ता है। यह मुख्य रूप से उपयोग में आने वाली ग्लुकोज, या शक्कर को संचित करने वाली ईंधन नहीं चढ़ता है। इसके मुख्य कारण खुराक में शक्कर और जंक फूड्स का ज्यादा सेवन होता है।
डायबिटीज या शुगर होने के लक्षण
• अधिक भूख एवं प्यास लगना
• अधिक पेशाब आना
• हमेशा थका महसूस करना
• वजन बढ़ना या कम होना
• त्वचा में खुजली होना या अन्य त्वचा संबंधी समस्याएँ होना
• उल्टी का मन होना
• मुँह सूखना
• बाहरी संक्रमण के प्रति शरीर संवेदनशील हो जाता है
• नेत्र संबंधी समस्याएँ जैसे- धुंधला दिखना
• अधिक पेशाब आने से शरीर निर्जलित हो जाता है जिस कारण बार-बार प्यास लगती है।
• कोई घाव होने पर उसके ठीक होने में समय लगता है। डायबिटीज में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक तरह से
काम नहीं करती।
• महिलाओं में अक्सर योनि में कैंडिड इंफेक्शन होने को खतरा रहता है।
• रक्त में अतिरिक्त चीनी से तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो सकता है। व्यक्ति अपने हाथ और पैरों में झनझनाहट महसूस
करता है साथ ही हाथ-पैरों में दर्द एवं जलन हो सकती है।
• डायबिटीज में व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है जिससे कि मसूड़ें में संक्रमण का
खतरा बढ़ जाता है और मसूड़े कमजोर होकर दाँत ढीले हो सकते है। निर्जलीकरण के कारण मुँह में शुष्कता
रहती है।
डायबिटीज से बचने के उपाय
1. नियमित रूप से व्यायाम करें।
2. अपने आहार में अधिक प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट शामिल करें।
3. अपने आहार में धनिया, गुड़मार, नीम, करेला, जमुन, घी, हल्दी जैसी चीजें शामिल करें।
4. हर रोज सुबह नींबू पानी पीएं।
5. अपने दिन का शुरुआत लौकी जूस से करें
6. मधुमेह चिकित्सक की सलाह से अपनी दवाओं का समय-समय पर सेवन करें।
7. रोजाना कम से कम 8 घंटे की नींद लें।
8. शुगर से दूर रहने के लिए धूम्रपान और शराब जैसी बुरी आदतों से दूर रहें।
9. दालचीनी, तुलसी और काली मिर्च का सेवन करने से मधुमेह नियंत्रण होता है।
10. निर्धारित समय पर अपने आहार का समय लें।
डायबिटीज से बचने के घरेलु उपाय।
यदि उचित खान पान और जीवनशैली के साथ घरेलु उपचारों का प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है। उचित आहार और जीवनशैली का पालन करने से मधुमेह में होने वालेलक्षण एवं जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।
•सब्जियों में करेला, ककड़ी, खीरा, टमाटर, शलजम, लौकी, तुरई, पालक, मेथी, गोभी यह सब खाना चाहिए। आलू
और शकरकन्द का सेवन नहीं करना चाहिए।
•फलों में सेब, अनार, संतरा, पपीता, जामुन, अमरुद का सेवन करें इसके विपरीत आम, केला, लीची, अंगूर इस
प्रकार के मीठे फल कम से कम खाने चाहिए।
•सूखे मेवों में बादाम, अखरोट, अंजीर खाएँ। किशमिश, छुआरा, खजूर इनका सेवन न करें।
•चीनी, शक्कर, गुड़, गन्ने का रस, चॉकलेट इनका सेवन बिल्कुल न करें।
•एक बार में अधिक भोजन न करें बल्कि भूख लगने पर थोड़े मात्रा में भोजन करें।
•डायबिटीज के रोगी को प्रतिदिन आधा घंटा सैर करनी चाहिए और व्यायाम करना चाहिए।
•प्रतिदिन प्राणायाम करना चाहिए तथा जितना हो सके तनावयुक्त जीवन जीना चाहिए।
डायबिटीज कंट्रोल करने के घरेलू उपाय
यदि आपको शुगर के लक्षण नजर आये तो इसे बिल्कुल भी अनदेखा ना करें। शुगर या डायबिटीज के इलाज के लिए बेहतर होगा कि आप पहले घरेलू उपायों और आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करें, इसके बाद अगर स्थिति नियंत्रित नहीं होती है तो शुगर की ऐलोपैथी दवा लें। आइये पहले घरेलू इलाजों के बारे में विस्तार से जानते हैं :-
डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद तुलसी-
तुलसी में मौजूद एन्टीऑक्सिडेंट और जरुरी तत्व शरीर में इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते है। डायबिटीज के रोगी को रोज दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट खाने चाहिए। इससे शुगर या डायबिटीज के लक्षणों (sugar ke lakshan) में कमी आती है।
डायबिटीज के उपचार में लाभकारी अमलतास-
अमलतास की कुछ पत्तियाँ धोकर उनका रस निकालें। इसका एक चौथाई कप प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से
शुगर के इलाज में फायदा मिलता है।
डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद सौंफ-
नियमित तौर पर भोजन के बाद सौंफ खाएँ। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है। शुगर के मरीजों को
इन घरेलू उपायों को अपनाने के साथ साथ परहेज का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
डायबिटीज या शुगर की दवा है करेला
•करेले का जूस शुगर की मात्रा को कम करता है। डायबिटीज को नियंत्रण में लाने के लिए करेले का जूस नियमित
रुप से पीना चाहिए।
• शुगर के लक्षण (Sugar ke lakshan) नजर आने पर सुबह खाली पेट टमाटर, खीरा और करेले का जूस मिलाकर
पिएँ।
डायबिटीज के इलाज में लाभकारी शलजम-
शलजम को सलाद के रुप में या सब्जी बनाकर खाएँ। शुगर के इलाज के दौरान शलजम का सेवन काफी
फायदेमंद होता है।
डायबिटीज को नियंत्रण करने में सहायक अलसी के बीज-
सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ लें। अलसी में प्रचुर मात्रा मे फाइबर पाया जाता है जिस कारण
यह फैट और शुगर का उचित अवशोषणा करने में सहायक होता है। अलसी के बीज डायबिटीज के मरीज की भोजन के बाद की शुगर को लगभग 28 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।
डायबिटीज या शुगर की दवा है मेथी-
मेथी के दानें को रात को सोने से पहले एक गिलास पानी में डालकर रख दें। सुबह उठकर खाली पेट इस पानी को
पिएँ और मेथी के दानों को चबा लें। नियमित रुप से इसका सेवन करने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है।
डायबिटीज में लाभकारी गेंहूँ-
गेहूँ के ज्वार का आधा कप ताजा रस रोज सुबह-शाम पीने से डायबिटीज में लाभ होता है।
डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद जामुन-
जामुन के फल में काला नमक लगाकर खाने से रक्त में शुगर की मात्रा नियत्रित रहती है।
डायबिटीज में लाभकारी दालचीनी-
रक्त में शुगर के स्तर को कम रखने के लिए एक महीने तक अपने प्रतिदिन के आहार में एक ग्राम दालचीनी का
प्रयोग करें। दालचीनी का इस्तेमाल आप शुगर की घरेलू दवा के रूप में कर सकते हैं।
आंवले का रस डायबिटीज में फायदेमंद-
10 मि.ग्रा. आँवले के जूस को 2 ग्रा. हल्दी के पाउडर में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। यह डायबिटीज के
लक्षणों (Sugar ke lakshan) और उससे होने वाली समस्याओं को कम करता है।
डायबिटीज में लाभकारी ग्रीन टी-
ग्रीन टी में पॉलिफिनॉल्स होते है। यह शुगर को कम करने वाले हाइपोग्लिसेमिक तत्व होते है। इससे ब्लड शुगर को
मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।
नीलबदरी डायबिटीज के इलाज फायदेमंद-
आयुर्वेद में नीलबदरी के पत्तों का उपयोग डायबिटीज के उपचार के लिए सदियों से होता आ रहा है। जरमोल ऑफ न्यूट्रिशन (Germoul of nutrition) के अनुसार इसकी पत्तियों में एंथोसाइनिडाइन्स काफी मात्रा में होते है जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।
सहिजन का पत्ता डायबिटीज में लाभकारी-
सहिजन के पत्तों का सेवन करने से डायबिटीज के रोगियों में भोजन का पाचन बेहतर होता है और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।
डायबिटीज को नियंत्रण करने में फायदेमंद नीम-
नीम के पत्तों में इंसुलिन रिसेप्टन सेंसिटिविटी बढ़ाने के साथ-साथ शिराओं व धमनियों में रक्त प्रवाह को सुचारु रुप से चलाता है और शुगर कम करने वाली दवाइओं पर निर्भर होने से भी बचाता है। डायबिटीज या शुगर के लक्षण
(sugar ke lakshan) दिखते ही नीम के पत्तों के जूस का सेवन शुरु कर देना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार इस जूस
को रोजाना सुबह खाली पेट पीना चाहिए।
नोट:- इस लेख में दी गई सभी जानकारियां, टिप्स, सुझाव सामान्य जानकारी देने और सूचनात्मक उद्देश्य से लिखी गई हैं। इन घरेलू नुस्खों और खानपान की आदतों पर निर्भर रहने से पहले कृपया चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
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