आज के इस युग में मोबाइल का उपयोग हर कोई कर रहा है चाहे वह बच्चा हो या बुजुर्ग हर किसी के पास अपना-अपना मोबाइल है। जिसमें आप सभी ने अपनी-अपनी जरूरत व पसंद की एप्लीकेशन डाउनलोड कर रखीं हैं। बहुत से लोगों को मोबाइल के सिस्टम की जानकारी नहीं रहती। जिससे मोबाइल यूजर्स के निजी डाटा चोरी हो जाता है।
देश भर में निजी डेटा में सेंध लगाने की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। डाटा सिक्योरिटी काउंसलिंग ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 में भारत के करीबन 85 लाख डिवाइस पर 40 करोड़ से ज्यादा साइबर हमले (अटैक) हुए। अर्थात हर मिनट में 761 साइबर अटैक। सबसे ज्यादा 15 फीसदी मामले सूरत में। बेंगलुरु में 14 फीसदी मामले सामने आए हैं । इसमें से 50 प्रतिशत अधिक मीडिया और नेटवर्क ड्राइव से संबंधित है 25 प्रतिशत हमले ई-मेल और वेबसाइट्स पर संदेहजनक लिंक पर क्लिक करने करने पर तथा शेष संदिग्ध एप्लीकेशन डाउनलोड करने के कारण हुए हैं।
मोबाइल उपयोग करते समय कई सावधानी बरतनी चाहिए। जानकारी के अभाव में मोबाइल को जालसाज हैक कर सकते हैं और मोबाइल डेटा के जरिए आपके साथ ठगी या ब्लैकमेल कर सकते हैं। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक हमेशा ऑथेंटिक एप स्टोर व प्ले स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करना चाहिए। सतर्क रहने की आवश्यकता है। अन्यथा आपके साथ कभी भी ठगी या ब्लैकमेलिंग का शिकार हो सकते हैं।
लोग अज्ञानता के चलते कहीं ऐप डाउनलोड करते हैं। जिस काम के लिए ऐप डाउनलोड करते समय स्वीकृति देते हैं। अगर एप आपकी अन्य कोई जानकारी की स्वीकृति मांगता है, तो उसे पर संदेह करते हुए डाउनलोड करने से बचना चाहिए। मोबाइल का पासवर्ड आसान नहीं रखें।
अनुपयोगी ऐप मोबाइल से डिलीट कर दे। मोबाइल किसी को बेचते हैं, तो उसका पूरा डाटा हटा कर दें। कई बार डाटा डिलीट करने के बाद रिकवर कर लिया जाता है। मोबाइल खरीदने वाला वक्त डाटा का दुरुपयोग भी कर सकता है।
परिजन ध्यान रखें कि उनके बच्चे मोबाइल पर क्या कर रहे हैं ? देर रात तक बच्चे मोबाइल को उपयोग में नहीं ले, बच्चों को मोबाइल गेम से दूर रखें। मोबाइल नशे जैसी लत है। जो एकबार लग जाती है तो इससे छुटकारा पाना कठिन हो जाता है।
मोबाइल में एनी डेस्क डाउनलोड नहीं करें। बैंक संबंधित ओटीपी नहीं बताएं। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर लगे चार्ज उपयोग में लेने से बचें, हो सकता है कि चार्जिंग केबल में इंटरनल डाटा थेप्ट करने की डिवाइस लगी हो। व्हाट्सएप डीपी में प्राइवेसी टू फैक्टर ऑथेंटिक लगा कर रखनी चाहिए। जिससे मोबाइल में आपका निजी डाटा सुरक्षित रहेगा।
इस प्रकार इन सभी बातों को अपनाकर अपने मोबाइल का उपयोग करते तो मोबाइल के जरिए होने वाली ठगी से अवश्य बच सकते हो।
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